कलियुग की विषम परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने के लिये रुद्रावतार हनुमान जी की शरण में जाना उत्तम होता है हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) सभी भक्तों के लिए एक वरदान के स्वरूप है यह एक स्वयंसिद्ध एवं तीव्र प्रभावकारी हनुमान जी की मंत्रवत स्तुति है इसमें कुल 40 छंद हैं इस चालीसा के पाठ के प्रभाव से भक्तों को हनुमान जी के अनुग्रह का प्रसाद मिलता है भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की उन्नति के लिये इसका पाठ श्रेष्ठ होता है
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का नियमित रूप से पाठ करने पर सभी प्रकार के नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है किसी भी प्रकार की कोई भूत प्रेत बाधा हो वह भी समाप्त होती है जहां पर हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ होता है वहां से सभी अशरीरी शक्तियां पलायन कर जाती है
- यदि शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है जिसके कारण आपको परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो तो नियमित रूप से हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से शनि ग्रह की शांति होती है और उसे शुभ फल प्राप्त होने लगता है
- यदि आपके कुंडली में मंगलदोष हो तो हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से मंगल दोष की शांति होती है
- किसी भी प्रकार के रोग से यदि आप पीड़ित हैं तो हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से शनै शनै रोग से मुक्त हो जाते हैं और सभी प्रकार की शारीरिक व्याधि ठीक हो जाती है
- आप अगर तनावग्रस्त है तो हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से तनाव तत्क्षण ही समाप्त हो जाता है
- यदि आप डर जाते हो या आपको बहुत भय लगता हो तो हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से आपका भय पूरी तरीके से समाप्त हो जाता है
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से भविष्य में कोई भी संकट यदि हमारे जीवन में आता है तो उससे बचाव होता है
- हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से मन में असीम शांति व्याप्त हो जाती है और मन विचार स्थिर होने लगते हैं
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से हनुमान जी की असीम कृपा प्राप्त होती है
- हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) के पाठ के प्रभाव से जीवन में व्याप्त कष्टों से मुक्ति मिलना प्रारंभ हो जाता है
- जो भी छात्र पढ़ाई में कमजोर हो तो वो हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का नियमित पाठ करें तो उसके प्रभाव से उनके योग्यता में वृद्धि होने लगती है
- हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का नियमित पाठ करने से शारीरिक बल में वृद्धि होने लगती है
- हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास मजबूत हो जाता है और उसकी मानसिक दुर्बलता दूर हो जाती है
- आध्यात्मिक रूप से उन्नति के लिए हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करना श्रेयस्कर होता है
- हमारे सभी सद् इच्छाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से होता है
- हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से पाठकर्ता का विचार सात्विक होने लगता है
- जीवन में किसी भी प्रकार की बाधायें आ रही हों तो हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) के पाठ से जीवन निष्कंटक होने लगता है
हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) :
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु,जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं,हरहु कलेस विकार॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरीनन्दन। तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रुप धरि लंक जरावा॥
भीम रुप धरि असुर सँहारे। रामचन्द्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फ़ल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकन्दन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाई। कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा॥
॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन,मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित,ह्रदय बसहु सुर भूप॥
।। इति श्री हनुमान चालीसा सम्पूर्णम ।।
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