aaj ka panchang in hindi 2024 today आज का पञ्चाङ्ग

aaj ka panchang in hindi

 -: aaj ka panchang आज का पञ्चाङ्ग :- 

30 – 6 – 2024

सूर्योदय – सुबह 5:11, सूर्यास्त – शाम 6:53

विक्रम सम्वत – 2081

मास – आषाढ़, पक्ष – कृष्ण

तिथि – नवमी दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात् दशमी

नक्षत्र – रेवती सुबह 7:35 तक तत्पश्चात् अश्विनी

योग – अतिगण्ड शाम 4:15 तक तत्पश्चात् सुकर्मा

करण – गर दोपहर 12:19 तक, वणिज रात्रि 11:21 तक तत्पश्चात् विष्टि

अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:34 से दोपहर 12:30 तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 2:19 से 3:13 तक

अमृत काल – सुबह 5:17 से 6:48 तक

राहुकाल – शाम 5:10 से 6:53 तक

पञ्चक – सूर्योदय से 7:35 तक

अग्निवास – पाताल में 12:19 तक तत्पश्चात् पृथ्वी पर

शिववास – सभा में दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात् क्रीड़ा में

सन्मुख चंद्रमा – उत्तर सुबह 7:35 तक तत्पश्चात् पूर्व

दिशा शूल – पश्चिम

aaj ka panchang आज का पञ्चाङ्ग :

 ज्योतिष का मूल आधार पञ्चाङ्ग होता है, पञ्चाङ्ग का निर्माण दो पद्धतियों सायन और निरयन से किया जाता है, उत्तर भारत में निरयन पद्धति के अनुसार पञ्चाङ्ग का निर्माण किया जाता है, पञ्चाङ्ग में मुख्यतः 5 चीजों का समावेश होता है-

तिथिर्वारश्च नक्षत्रं योगः करणमेव च ।

एतेषां यत्र विज्ञानं पञ्चाङ्ग तन्निगद्यते ||

  1. तिथि
  2. वार
  3. नक्षत्र
  4. योग
  5. करण  
  1. तिथि – सूर्य और चन्द्रमा के मध्य जब 12 अंश का अंतर होता है तो वह एक तिथि कहलाती है, एक चन्द्र मास में शुक्ल पक्ष में 15 दिन और कृष्ण पक्ष में 15 दिन होता है इस प्रकार कुल 30 दिन होता है, जब कोई तिथि एक सूर्योदय के बाद प्रारम्भ होती है और अगले सूर्योदय के पूर्व समाप्त हो जाती है तब तिथि को सूर्योदय न मिलने के कारण तिथि क्षय हो जाती है, जब कोई तिथि एक सूर्योदय के पहले से प्रारम्भ होती है और अगले सूर्योदय के बाद समाप्त होती है तो तिथि वृद्धि हो जाती है |     
  2. वार – हमारे पञ्चाङ्ग के अनुसार कोई भी वार एक सूर्योदय से प्रारम्भ होकर दूसरे सूर्योदय तक रहता है, वार सात होते हैं – रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार |   
  3. नक्षत्र – सभी 12 राशियों को 27 भागों में विभाजित किया गया है इसका एक भाग  नक्षत्र कहलाता है, नक्षत्र 13 अंश 20 कला का होता है और इन नक्षत्रों के प्रत्येक में चार चार चरण होते हैं |

    1. अश्विनी, 2. भरणी, 3. कृत्तिका, 4. रोहिणी, 5. मॄगशिरा, 6. आर्द्रा, 7. पुनर्वसु, 8. पुष्य, 9. अश्लेशा, 10. मघा, 11. पूर्वाफाल्गुनी, 12. उत्तराफाल्गुनी, 13. हस्त, 14. चित्रा, 15. स्वाती, 16. विशाखा, 17. अनुराधा, 18. ज्येष्ठा, 19. मूल, 20. पूर्वाषाढा, 21. उत्तराषाढा, 22. श्रवण, 23. धनिष्ठा, 24. शतभिषा, 25. पूर्व भाद्रपद, 26. उत्तर भाद्रपद, 27. रेवती |

  4. योग – योग 27 प्रकार के होते हैं |

    1.विष्कुम्भ, 2.प्रीति, 3.आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगण्ड, 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गण्ड, 11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिघ, 20.शिव, 21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ, 24.शुक्ल, 25.ब्रह्म, 26.ऐन्द्र और 27.वैधृति।

  5. करण –  तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं इस प्रकार एक तिथि में दो करण होते हैं, करण दो प्रकार के होते हैं पहला चर और दूसरा स्थिर, चर करण सात होतें है और स्थिर करण चार होते हैं | 

पञ्चाङ्ग (aaj ka panchang) के अन्य घटक : 

 
  • चंद्र राशि – चन्द्रमा बारह राशियों में से जिस भी राशि में होता है उसके बारे में बताया गया है |  
  • सन्मुख चन्द्रमा – यात्रा प्रारम्भ और गृह प्रवेश के समय यह देखा जाता है की चन्द्रमा आपके किस ओर है, सामने या दाहिने चन्द्रमा का होना शुभ और मंगलकारी माना जाता है, पीछे होने से मृत्यु तुल्य कष्ट और बायें  होने से धन हानी होती है | 
  • राहुकाल – दिन का एक ऐसा समय जो पूर्णतया राहु के प्रबाव में रहता है, इस समय कोई भी शुभ कार्य या नवीन कार्य का प्रारम्भ नही करना चाहिये | 
  • अग्निवास- जब कोई हवन सकाम अर्थात किसी भी कार्यसिद्धि के लिये करते है तो अग्नि वास को देखना चाहिये की वो कहाँ पर है-

    • पृथ्वी पर – कार्य सिद्धि होती है
    • आकाश मे – संकटों में वृद्धि होती है
    • पाताल में -आर्थिक हानि होती है
  • शिववास- भगवान शिव के रुद्राभिषेक, शिवार्चन अथवा महामृत्युंजय अनुष्ठान से पूर्व शिववास देखना चाहिये, सकाम पूजा या अनुष्ठान में ही शिववास देखा जाता है निष्काम पूजा उपासना में शिववास देखने की आवश्यकता नहीं होती है, शिववास का फल आप यहाँ देख सकते है – 

    • श्मशान में – मृत्यु तुल्य कष्ट
    • गौरी के साथ – सुख सम्पदा की प्राप्ति
    • सभा में – दु:ख की प्राप्ति
    • क्रीड़ा में – कष्टदायक
    • कैलाश पर – सुख की प्राप्ति
    • नन्दी पर – अभीष्ट सफलता
    • भोजन में – परेशानी
 
  • दिशाशूल –  ज्योतिष के अनुसार हर एक दिन ऐसा होता है जिसमें किसी एक विशेष दिशा में यात्रा करना मंगलमय नहीं होता है उस दिशा की ओर यात्रा करना कष्टकारी और बाधक होता है उन दिशाओं में उस दिन यात्रा करने से बचे ये दिशायें निम्न है     
    • रविवार के दिन :  पश्चिम दिशा
    • सोमवार के दिन : पूर्व दिशा
    • मंगलवार के दिन : उत्तर दिशा
    • बुधवार के दिन : उत्तर दिशा
    • बृहस्पतिवार के दिन : दक्षिण दिशा
    • शुक्रवार के दिन : पश्चिम दिशा
    • शनिवार के दिन : पूर्व  
 यह उपरोक्त आज का पञ्चाङ्ग (aaj ka panchang) काशी (उ.प्र.)  के अनुसार दिया गया है |