रुद्राक्ष हम सभी के लिये भगवान आदिदेव शिव का प्रत्यक्ष वरदान है, जीवन की किसी भी विसंगति का हल रुद्राक्ष को धारण करने से हो सकता है, इसको धारण करने से दैहिक,दैविक और भौतिक तीनों तापों से भी मुक्ति मिलती है बस आवश्यकता है तो केवल अपने अनुकूल रुद्राक्ष धारण करने की, वैसे तो किसी भी मुख का रुद्राक्ष कोई भी पहन सकता है
यह किसी को कोई दुष्प्रभाव नहीं देता है केवल सर्वत्र कल्याण ही करता है परन्तु इन सभी रुद्राक्षों में से कौन से मुख का रुद्राक्ष हमारे लिये सर्वाधिक लाभप्रद है यह जानेंगे, अब प्रश्न यह उठता है की हम कौन सा रुद्राक्ष पहने जो हमारे लिये अनुकूल हो इसके लिये ज्योतिष के अनुसार मुख्यतः 3 विधियाँ है-
- अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना
- अपनी राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना
- अपने लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना
सबसे पहले हम अपने नक्षत्र के अनुसार कौन सा रुद्राक्ष पहने इसके बारे में जानेंगे, ज्योतिष के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में 27 नक्षत्र है, इन सभी नक्षत्रों के चार-चार चरण( पद ) होते है, किसी भी व्यक्ति को हर एक नक्षत्र एवं उसके पद के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, शिवरात्री के दिन या श्रावण के पवित्र मास में इसको धारण करना सर्वाधिक शुभ एवं मंगलकारी होता है, इसे किसी भी महीने के प्रदोष (हर एक मास की त्रयोदशी तिथि) के दिन भी धारण करना अच्छा होता है,
रुद्राक्ष को लाकर बिना उसकी पूजा किये धारण नही करना चाहिए, रुद्राक्ष को गंगाजल से पवित्र कर विधि पूर्वक पूजा-जाप करके धारण करने से उसका सर्वांगीण लाभ हमें प्राप्त होता है, जिस भी रुद्राक्ष को आपको धारण करना हो उसकी विधि इस पेज पर दिया गया है उसका लाभ आप ले सकते है |
रुद्राक्ष धारण करने की विधि
कुछ वर्ष पूर्व हमारे पास एक व्यक्ति अपने पुत्र के स्वभाव के सन्दर्भ में परामर्श लेने आये थे, उनका पुत्र अत्यंत ही क्रोधी स्वभाव का था कभी किसी की कोई बात सुनता ही नहीं था एवं साथ ही साथ गलत संगति के प्रभाव में था, पढाई-लिखाई में तो उसका जरा सा भी मन नहीं लगता था इस कारण घर वाले काफी दु:खी रहते थे, उसकी जन्मपत्री के अवलोकन के पश्चात उस बालक को उसके जन्मनक्षत्र के अनुसार विधि पूर्वक रुद्राक्ष धारण कराया गया,
भगवान भोलेनाथ की कृपा से उस बालक में काफी सुधार आया, उस बालक का क्रोधित स्वभाव काफी हद तक परिवर्तित हो गया, स्वभाव में थोड़ी शान्ति आने के पश्चात् उसका मन थोड़ा बहुत अध्ययन में लगने लगा, जहाँ उसके बोर्ड की परीक्षा में पास होने की भी उम्मीद नहीं थी वहाँ पर वह संतोषजनक अंको के साथ उत्तीर्ण हो गया |
नक्षत्र के अनुसार कौन सा रुद्राक्ष पहने :
1.अश्विनी (Aswini ) में कौन सा रुद्राक्ष पहने-
अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार है और इस नक्षत्र के स्वामी केतु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
2. भरणी (Bharani) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
भरणी नक्षत्र के देवता यम है और इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 5 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
3. कृतिका (Krittika) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि है और इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
4. रोहिणी (Rohini) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रह्मा जी है और इस नक्षत्र के स्वामी चंद्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
5. मृगशिरा (Mrigashira) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
मृगशिरा नक्षत्र के देवता चन्द्रदेव है और इस नक्षत्र के स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
6.आर्द्रा (Ardra) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
आर्द्रा नक्षत्र के देवता भगवान शिव है और इस नक्षत्र के स्वामी राहु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
7. पुनर्वसु (Punarvasu) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति है और इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
8. पुष्य (Pushya) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
पुष्य नक्षत्र के देवता देवों के गुरु बृहस्पति देव है और इस नक्षत्र के स्वामी शनि है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
9. आश्लेषा (Ashlesha) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
आश्लेशा नक्षत्र के देवता सर्प है और इस नक्षत्र के स्वामी बुध है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
10. मघा (Magha) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
मघा नक्षत्र के देवता पितर है और इस नक्षत्र के स्वामी केतु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
11. पूर्वाफाल्गुनी (Purva Phalguni) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग ( द्वादश आदित्य में से एक ) है और इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 5 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
12. उत्तराफाल्गुनी (Uttara Phalguni) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के देवता अर्यमा है और इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
13. हस्त (Hasta) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
हस्त नक्षत्र के देवता सावित्र ( सूर्य की प्रथम किरण) है और इस नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
14. चित्रा (Chitra) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
चित्रा नक्षत्र के देवता त्वष्टा ( देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ) है और इस नक्षत्र के स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
15. स्वाति (Swati) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
स्वाति नक्षत्र के देवता पवनदेव है और इस नक्षत्र के स्वामी राहु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
16. विशाखा (Vishakha) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्राग्नि ( इन्द्र देव और अग्नि देव ) है और इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
17. अनुराधा (Anuradha) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र ( द्वादश आदित्य में से एक ) है और इस नक्षत्र के स्वामी शनि है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
18. ज्येष्ठा (Jyeshtha) में कौन सा रुद्राक्ष पहने –
ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र है और इस नक्षत्र के स्वामी बुध है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
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