राहु शान्ति विधि – Rahu shanti vidhi

rahu yantra

 Rahu shanti vidhi

राहु शांति विधि : Rahu shanti vidhi -

जब कुण्डली में राहु अशुभ हो, शत्रुक्षेत्री हो, अकारक हो, राहु किसी भी प्रकार से कष्ट दे रहा हो, गोचर में राहु अशुभ प्रभाव दे रहा हो अथवा राहु की दशा चल रही हो और उसका अशुभ फल मिल रहा हो तो राहु की शान्ति करनी चाहिए | 

किसी भी शनिवार या आर्द्रा , स्वाति या शतभिषा नक्षत्र में से किसी भी एक नक्षत्र से राहु ग्रह की शांति प्रारम्भ करना चाहिए| इसमें वर्णित राहु यन्त्र को किसी भोजपत्र अथवा कागज़ पर बनायें, प्राथमिकता भोजपत्र को ही दें, भोजपत्र न मिलने की अवस्था में ही कागज़ पर बनाना चाहिए| लाल चन्दन अथवा केशर को पानी में घोल कर स्याही बनाये फिर इस स्याही का प्रयोग यन्त्र बनाने में करें | यंत्र बनाने के लिये अनार की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए| यन्त्र का पूजन,जाप व हवन आदि करके इस यन्त्र को ताबीज में भरकर धारण कर सकते है|

यदि यंत्र बनाना न चाहे तो ताम्रपत्र पर बना हुआ यन्त्र ले सकते है परन्तु इस ताम्रपत्र पर बने यन्त्र को धारण करने में असुविधा होगी | पूजन में नीला वस्त्र धारण करना चाहिए |

भोजपत्र अथवा कागज़ पर बने राहु यन्त्र को धारण करने से राहु की विशिष्ट ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे राहु की शुभ रश्मियां प्राप्त होती है | छाया ग्रह राहु को राजनीति, सम्मोहन शास्त्र, भूत-पिशाच बाधा, व्यसन, आकस्मिक घटनाओं एवं बिजली के सामान का कारक माना गया है, इस यंत्र की ऊर्जा के प्रभाव से धारक की कल्पना शक्ति में वृद्धि, अकस्मात लाभ एवं महत्वाकांक्षा की पूर्ति होती है | राहु एक पृथकतावादी ग्रह है | पेट के रोग, दमा, कुष्ठ रोग, मिर्गी, मतिभ्रम आदि में इस यंत्र से लाभ मिलता है| यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के व्यसन से ग्रसित होता है तो यह राहु यंत्र व्यक्ति को आत्मबल प्रदान कर व्यसन से मुक्त होने में सहायक होता है|

राहु शांति विधि ( Rahu shanti vidhi ) में अपने सामने बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर काला वस्त्र बिछा कर भगवान गणपति की फोटो या मूर्ति स्थापित करें फिर विघ्नहर्ता भगवान गणपति का ध्यान करें-

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

ध्यान के पश्चात भगवान गणपति का पञ्चोपचार ( गंध,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य से ) पूजन करें |

फिर राहु यन्त्र को स्थापित कर निम्न ध्यान का उच्चारण करें-

ॐ राहु मलयजं शूद्रं, पैठिनं द्वादशाङ्गुलम् | कृष्ण कृष्णाम्बरं सिंहासनं धात्वा तथाह्वयेत् ||

चतुर्बाहुं खडग धरं, शूल चर्म्म करं तथा | कालाधि दैवतं सूर्यास्यं, सर्प प्रत्यधि दैवतम् ||

फिर यंत्र का भी पञ्चोपचार पूजन करके निम्न में से किसी भी एक मन्त्र का जाप करें –

१.ॐ रां राहवे नमः ||

२.ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः ||

राहु तांत्रोक्त मंत्र-

३.ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ||

राहु गायत्री मंत्र –

४.ॐ शिरो रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात् ||

राहु वैदिक मंत्र –  

५.ॐ कयानश्चित्र आभुवदूती सदावृधः सखा। कया शचिष्ठया वृता ||

जप संख्या – ७२ हजार

जाप के पश्चात जाप का दशांश ( जाप की संख्या का दसवां भाग ) हवन करें |

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