चन्द्र शान्ति विधि
जब कुण्डली में चन्द्रमा नीच का हो, शत्रुक्षेत्री हो, त्रिक में हो, पाप ग्रहों से प्रभावित हो, पक्ष बलि न हो ( मुख्यतः सूर्य से 72 अंश के अन्दर हो ), अकारक हो, किसी भी प्रकार से कष्ट दे रहा हो अथवा चन्द्र की दशा चल रही हो और उसका अशुभ फल मिल रहा हो तो चन्द्र की शान्ति करनी चाहिए |
किसी भी सोमवार या रोहिणी,हस्त या श्रवण नक्षत्र में से किसी भी एक नक्षत्र से चन्द्र ग्रह की शांति प्रारम्भ करना चाहिए| इसमें वर्णित चन्द्र यन्त्र को किसी भोजपत्र अथवा सफेद कागज़ पर बनायें, प्राथमिकता भोजपत्र को ही दें, भोजपत्र न मिलने की अवस्था में ही कागज़ पर बनाना चाहिए| लाल चन्दन अथवा केशर को पानी में घोल कर स्याही बनाये फिर इस स्याही का प्रयोग यन्त्र बनाने में करें| यंत्र बनाने के लिये अनार की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए|यन्त्र का पूजन,जाप व हवन आदि करके इस यन्त्र को ताबीज में भरकर धारण कर सकते है| यदि यंत्र बनाना न चाहे तो ताम्रपत्र पर बना हुआ यन्त्र ले सकते है परन्तु इस ताम्रपत्र पर बने यन्त्र को धारण करने में असुविधा होगी | पूजन में श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए |
भोजपत्र अथवा कागज़ पर बने चन्द्र यन्त्र को धारण करने से चंद्रमा की विशिष्ट ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे चन्द्रमा की शुभ रश्मियां प्राप्त होती है | चन्द्रमा मन का कारक है अतः इस यंत्र की ऊर्जा के प्रभाव से धारक को मानसिक शांति की अनुभूति होती है एवं आत्मबल में वृद्धि होती है| नेत्र रोग,सर्दी जुकाम,मानसिक रोग एवं अनिद्रा रोग में इस यंत्र से लाभ मिलता है| इसको धारण करने से जीवन शांतिपूर्ण रहता है एवं माता से सम्बन्ध मधुर रहते है |
अपने सामने बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर श्वेत वस्त्र बिछा कर भगवान गणपति की फोटो या मूर्ति स्थापित करें फिर विघ्नहर्ता भगवान गणपति का ध्यान करें-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
ध्यान के पश्चात भगवान गणपति का पञ्चोपचार ( गंध,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य से ) पूजन करें |
फिर चन्द्र यन्त्र को स्थापित कर निम्न ध्यान का उच्चारण करें-
ॐ सामुद्रं वैश्यमात्रेयं, हस्तमात्रं सिताम्बरम् । श्वेतं द्बिबाहुं वरदं, दक्षिणं स गदेतरम् ॥
दशाश्वं श्वेतपद्मं विचिन्त्यमाधि दैवतम् । जल प्रत्यधि दैवं च सूर्यास्तमाहत् तथा ||
फिर यंत्र का भी पञ्चोपचार पूजन करके निम्न में से किसी भी एक मन्त्र का जाप करें –
१. ॐ सों सोमाय नमः ||
२. ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ||
चन्द्र तांत्रोक्त मंत्र-
३.ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः ||
चन्द्र गायत्री मंत्र –
४.ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृत तत्त्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ||
चन्द्र वैदिक मंत्र –
५.ॐ इमं देवा असपत्नं सुवद्ध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय |
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।
जप संख्या – ४४ हजार
जाप के पश्चात जाप का दशांश ( जाप की संख्या का दसवां भाग ) हवन करें |