सूर्य शान्ति विधि – surya shanti

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सूर्य शान्ति विधि (surya shanti)

सूर्य शान्ति (surya shanti) विधि तब करना चाहिए जब कुण्डली में सूर्य नीच का हो, शत्रुक्षेत्री हो, त्रिक में हो, पाप ग्रहों से प्रभावित हो, अकारक हो, किसी भी प्रकार से कष्ट दे रहा हो अथवा सूर्य की दशा चल रही हो और उसका अशुभ फल मिल रहा हो |

किसी भी रविवार या कृतिका,उत्तरा फाल्गुनी या उत्तराषाढा में से किसी भी एक नक्षत्र से सूर्य की शांति (surya shanti) प्रारम्भ करना चाहिए| 

इसमें वर्णित सूर्य यन्त्र को किसी भोजपत्र अथवा सफेद कागज़ पर बनायें, प्राथमिकता भोजपत्र को ही दें, भोजपत्र न मिलने की अवस्था में ही कागज़ पर बनाना चाहिए| लाल चन्दन अथवा केशर को पानी में घोल कर स्याही बनाये फिर इस स्याही का प्रयोग यन्त्र बनाने में करें| यंत्र बनाने के लिये अनार की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए|यन्त्र का पूजन,जाप व हवन आदि करके इस यन्त्र को ताबीज में भरकर धारण कर सकते है| यदि यंत्र बनाना न चाहे तो ताम्रपत्र पर बना हुआ यन्त्र ले सकते है परन्तु इस ताम्रपत्र पर बने यन्त्र को धारण करने में असुविधा होगी | पूजन में लाल वस्त्र धारण करना चाहिए |      

भोजपत्र अथवा कागज़ पर बने सूर्य यन्त्र को धारण करने से सूर्य की विशिष्ट ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे सूर्य की शुभ रश्मियां प्राप्त होती है और सूर्य शान्ति (surya shanti) होती है | इस ऊर्जा के प्रभाव से धारक के आत्मबल में वृद्धि होती है, राजकीय कार्यो अथवा राज्य की तरफ से अनुकूलता मिलती है,सरदर्द या नेत्र रोग में भी लाभदायक होता है, यश में वृद्धि होती है एवं पिता से सम्बन्ध मधुर रहते हैं |        

सूर्य शान्ति (surya shanti) के लिये अपने सामने बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर लाल वस्त्र बिछा कर भगवान गणपति की फोटो या मूर्ति स्थापित करें फिर विघ्नहर्ता भगवान गणपति का ध्यान करें-

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं |

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||

ध्यान के पश्चात भगवान गणपति का पञ्चोपचार ( गंध,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य से ) पूजन करें |

फिर सूर्य यन्त्र को स्थापित कर निम्न ध्यान का उच्चारण करें

ॐ क्षत्रियं काश्यपं रक्तं, कालिङ्गं द्वादशाङ्गुलम् ||

पद्महस्तद्वयं पूर्वाननं सप्ताश्ववाहनम् ||

शिवाधिदैवतं सूर्यं वह्निप्रत्यधिदैवतम् ||

फिर यंत्र का भी पञ्चोपचार पूजन करके निम्न में से किसी भी एक मन्त्र का जाप करें –

1. ॐ घृणि: सूर्याय नमः ||

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ||

सूर्य तांत्रोक्त मंत्र-

3. ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ||

सूर्य गायत्री मंत्र –

4. ॐ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ||  

सूर्य वैदिक मंत्र –   

5. ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ||

जप संख्या – 28 हजार

जाप के पश्चात जाप का दशांश ( जाप की संख्या का दसवां भाग ) हवन करें |

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