बुध शान्ति विधि

budha yantra

बुध शान्ति विधि

जब कुण्डली में बुध नीच का हो, शत्रुक्षेत्री हो, त्रिक में हो, पाप ग्रहों से प्रभावित हो, अकारक हो, बुध किसी भी प्रकार से कष्ट दे रहा हो अथवा बुध की दशा चल रही हो और उसका अशुभ फल मिल रहा हो तो बुध की शान्ति करनी चाहिए | किसी भी बुधवार या आश्लेषा,ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र में से किसी भी एक नक्षत्र से बुध ग्रह की शांति प्रारम्भ करना चाहिए| इसमें वर्णित बुध यन्त्र को किसी भोजपत्र अथवा सफेद कागज़ पर बनायें, प्राथमिकता भोजपत्र को ही दें, भोजपत्र न मिलने की अवस्था में ही कागज़ पर बनाना चाहिए| लाल चन्दन अथवा केशर को पानी में घोल कर स्याही बनाये फिर इस स्याही का प्रयोग यन्त्र बनाने में करें| यंत्र बनाने के लिये अनार की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए|यन्त्र का पूजन,जाप व हवन आदि करके इस यन्त्र को ताबीज में भरकर धारण कर सकते है| यदि यंत्र बनाना न चाहे तो ताम्रपत्र पर बना हुआ यन्त्र ले सकते है परन्तु इस ताम्रपत्र पर बने यन्त्र को धारण करने में असुविधा होगी | पूजन में हरा या श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए |

भोजपत्र अथवा कागज़ पर बने बुध यन्त्र को धारण करने से बुध की विशिष्ट ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे बुध की शुभ रश्मियां प्राप्त होती है | बुध वाणी,व्यापार एवं बुद्धि का प्रतीक है अतः इस यंत्र की ऊर्जा के प्रभाव से धारक की बुद्धि निर्मल होती है, यह यंत्र व्यापारी गणों को व्यापार में कुशल बनाता है साथ ही साथ व्यापार वृद्धि कराता है | हकलाहट हो, गले का रोग हो, स्नायुओं का कोई रोग हो या मतिभ्रम से सम्बंधित रोग में इस यंत्र से लाभ मिलता है| जो भी व्यक्ति लेखन या पत्रकारिता से सम्बन्धित क्षेत्र से जुड़े होते है उन्हें भी यह बुध यंत्र मनोकुल लाभ देता है |

अपने सामने बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर श्वेत या हरा वस्त्र बिछा कर भगवान गणपति की फोटो या मूर्ति स्थापित करें फिर विघ्नहर्ता भगवान गणपति का ध्यान करें-

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

ध्यान के पश्चात भगवान गणपति का पञ्चोपचार ( गंध,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य से ) पूजन करें |

फिर बुध यन्त्र को स्थापित कर निम्न ध्यान का उच्चारण करें-

ॐ मागधं द्वान्गुलात्रेयं, वैश्यं पीतं चतुर्भुजंम् | वामोर्ध्व क्रमतश्चापं गदा वर विधिगवम् ||

सुर्यास्यं सिंहगं सौम्यं, पीत वस्त्र तथाऽऽहवयेत् | नारायणाधि दैवं च, विष्णु प्रत्यधि दैवतम् ||

फिर यंत्र का भी पञ्चोपचार पूजन करके निम्न में से किसी भी एक मन्त्र का जाप करें –

१.ॐ बुं बुधाय नमः ||

२.ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय नमः ||

बुध तांत्रोक्त मंत्र-

३.ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ||

बुध गायत्री मंत्र –

४.ॐ सौम्य रूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ||

बुध वैदिक मंत्र – 

५.ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजाग्रहि त्वमिष्टापूर्तेस सृजेथामयंच। अस्मिन्त्सधस्‍थे ऽध्‍युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत ||

जप संख्या – ३६ हजार

जाप के पश्चात जाप का दशांश ( जाप की संख्या का दसवां भाग ) हवन करें |