 
															नवरात्र यानि दुर्गा पूजा (Durga puja) के इस पर्व पर किये जाने वाले सप्तशती के पाठ से सनातन धर्मं के सभी लोग अच्छी तरह से अवगत है शायद ही कोई सनातन धर्मी होगा जो इस नवरात्र पर्व यानि दुर्गा पूजा (Durga puja) की महत्ता एवं चण्डी पाठ की महत्ता को न जानता हो, माता दुर्गा व उनके अनन्य रूपों की आराधना का आधार है यह सप्तशती, ये केवल एक ग्रन्थ ही नही है अपितु हम सभी के लिए एक कल्पवृक्ष है ऐसा कल्पवृक्ष जो की हर एक व्यक्ति को उसकी श्रध्दा एवं विश्वास के साथ उसकी आवश्यकता के अनुसार अलग अलग फल देता है,
ईश्वर द्वारा प्रदत्त सप्तशती के 700 मंत्र हम सभी के लिए 700 हीरक खंड के समान है, यदि हमारे जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव या परेशानी है तो उसके निराकरण हेतु इसमें कोई न कोई मन्त्र अवश्य ही निर्धारित है इसके लिए यह आवश्यक है की हमें दीनता या हताशा का त्याग कर ईश्वर द्वारा प्रदत्त इस अनमोल उपहार को अपने जीवन में प्रयोग करें एवं सुखमय जीवन व्यतीत करें,
नवरात्र यानि दुर्गा पूजा (Durga puja) में भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति हेतु हमें अन्तःकरण को शुद्ध रखते हुए पूर्ण एकाग्रता के साथ माता की उपासना करनी चाहिए, आपके लिए कुछ समस्याओं के निराकरण हेतु सप्तशती के कुछ मन्त्र जो नीचे वर्णित है उसका जाप करके आप अपने जीवन में मनोवांछित लाभ ले सकते है |
नवरात्र यानि दुर्गा पूजा (Durga puja)पर सर्वप्रथम आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 3 अक्टूबर 2024 को अपने सामने माता की तस्वीर या मूर्ति को बाजोट (लकड़ी की छोटी चौकी) पर लाल वस्त्र पर चुनरी ओढ़ाकर स्थापित करने के पश्चात विधि पूर्वक कलश की स्थापना करें, कलश स्थापना की विधि एवं मुहूर्त के लिए यह लेख देख सकते है – कलश स्थापना विधि
कलश स्थापना के पश्चात आप निम्नोक्त में से कोई प्रयोग कर सकते है, किसी भी प्रयोग से पूर्व सर्वप्रथम भगवान गणपति की आराधना करें, फिर माता का पञ्चोंपचार पूजन निम्न प्रकार करें-
लं पृथिव्यात्मकं गन्धं समर्पयामि नमः ( चन्दन अर्पित करें )|
हं आकाशात्मकं पुष्पं समर्पयामि नमः ( पुष्प अर्पित करें )|
यं वाय्वात्मकं धूपं घ्रापयामि नमः ( धूप दिखाएँ )|
रं वह्नयात्मकं दीपं दर्शयामि नमः ( दीपक दिखाएँ ) |
वं अमृतात्मकं नैवेद्यं निवेदयामि नमः ( मिष्टान अर्पित करें )|
सं सर्वात्मकं ताम्बूलं समर्पयामि नमः ( पान,सुपारी और लौंग अर्पित करें ) |33
दैवीय कृपा प्राप्ति के लिए –
यह नवरात्र यानि दुर्गा पूजा (Durga puja)का पर्व मुख्यतः माता की कृपा प्राप्ति के लिए होता है, सर्व शक्तिमान ईश्वर ने जो जीवन रूपी उपहार हम सभी को प्रदान किया है वो केवल भौतिक जीवन जीने के लिए नहीं दिया है बल्कि सर्वप्रथम आध्यात्मिक उन्नति करते हुए सभी क्षेत्र में अपना सर्वांगीण विकास करने के लिए दिया है, यदि जीवन में माता की कृपा हो तो व्यक्ति की आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति निष्कंटक रूप से होने लगती है, माता की कृपा से व्यक्ति के विचार निर्मल होने लगता है एवं मन में शान्ति का उद्भव होने लगता है
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्ति-हारिणि |
त्रैलोक्य-वासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||
- इस मंत्र का प्रतिदिन अपने सामर्थ्य के अनुसार 21 या 51 माला का जाप लाल चन्दन की माला से करें |
- लाल वस्त्र धारण कर इस मंत्र का जाप करें |
- लाल आसन का प्रयोग करें |
- माता को लाल रंग का पुष्प अर्पित करें |
विद्या प्राप्ति के लिए –
कोई विद्यार्थी जब अपनी शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति न कर पा रहा हो या शिक्षा प्राप्ति में रुकावट आ रही हो तो इस मंत्र का जाप करें
या मुक्ति हेतुरविचिन्त्य महाव्रता त्व मभ्यस्यसे सुनियतेन्द्रिय तत्त्वसारैः |
मोक्षार्थिभिर्मुनिभिरस्त समस्तदोषै र्विद्याऽसि सा भगवती परमा हि देवि ||
- इस मंत्र का प्रतिदिन 11 माला का जाप स्फटिक की माला से करें |
- श्वेत वस्त्र धारण कर इस मंत्र का जाप करें |
- श्वेत आसन का प्रयोग करें |
- माता को श्वेत रंग का पुष्प अर्पित करें |
धन सम्पदा प्राप्ति के लिए –
जब आर्थिक स्थिति डावांडोल हो, आय का कोई निश्चित साधन न हो, धन का संचय न हो पा रहा हो तब इस अवस्था में इस मन्त्र का प्रयोग अति लाभकर सिद्ध होता है
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
- इस मंत्र का प्रतिदिन 21 माला का जाप कमलगट्टे की माला से करें |
- लाल वस्त्र धारण कर इस मंत्र का जाप करें |
- लाल आसन का प्रयोग करें |
- माता को लाल रंग का पुष्प अर्पित करें |
रोग मुक्ति के लिए –
जब शरीर रोगों के आक्रमण से ग्रसित हो, समुचित चिकित्सीय उपचार के बाद भी दवाओं का कोई भी असर रोगों पर न दिख रहा हो या चिकित्सीय जाँच में किसी भी रोग के अस्तित्व का प्रमाण न मिल रहा हो तब इस मन्त्र का प्रयोग अमोघ सिद्ध होता है
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् |
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ||
- इस मंत्र का प्रतिदिन 11 माला का जाप मूंगे की माला से करें |
- लाल वस्त्र धारण कर इस मंत्र का जाप करें |
- लाल आसन का प्रयोग करें |
- माता को लाल रंग का पुष्प अर्पित करें |
सर्व संकटों से मुक्ति के लिए –
यदि जीवन चारों तरफ से संकटों से घिर गया हो, उन्नति के सारे रास्ते बन्द हो गए हो, अनायास ही बनते हुए सारे काम बिगड़ जाएं तब केवल एक ही रास्ता बचता है वो है माता की शरण में आना इसके लिए आपको निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए
ज्वाला करालमत्युग्रमशेषासुर सूदनम् |
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते ||
- इस मंत्र का प्रतिदिन 11 माला का जाप रुद्राक्ष की माला से करें |
- पीले वस्त्र धारण कर इस मंत्र का जाप करें |
- पीले आसन का प्रयोग करें |
- माता को पीला रंग का पुष्प अर्पित करें |
नवरात्र यानि दुर्गा पूजा (Durga puja) पर कुछ नियम –
- आप उपरोक्त मन्त्रों का विशेष लाभ लेना चाहते हैं तो सप्तशती के सभी मन्त्रो के साथ आगे-पीछे इन मंत्रो द्वारा सम्पुट लगाकर सप्तशती का पाठ करें |
- यदि सम्भव हो तो अखण्ड दीपक अवश्य प्रज्वलित करें नहीं तो जीतने समय पूजा करें उस समय दीपक अवश्य प्रज्वलित करें |
- जाप प्रतिदिन प्रात:काल या सायंकाल में निश्चित समय पर करें |
- जाप कम्बल या कुश के आसन के ऊपर बैठकर ही करना चाहिए |
- जाप पूर्व, उत्तर या ईशान मुख होकर करें |
- पूजा स्थल पर देवी की तीन मूर्तियां या फोटो न रखें |
- मातारानी को श्रंगार का सामान अवश्य अर्पित करें फिर उक्त सामग्री को प्रसाद स्वरुप अपनी माता या पत्नी को दे दें |
- मातारानी को सुगन्धित पुष्प अवश्य अर्पित करें |
- मंत्र के साथ जिस भी माला का उल्लेख हो यदि वह उपलब्ध न हो तो जाप रुद्राक्ष की माला से भी कर सकते है |
- यदि संभव हो तो पूरे 9 दिन व्रत रखें परन्तु यदि व्रत न रख सकें तो भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग न करें |
- मातारानी को पानी वाला नारियल अवश्य अर्पित करें |
- अधिक से अधिक मौन रखें ताकि आपके शरीर में अधिक से अधिक ऊर्जा का संचय हो |
- क्रोध पर नियंत्रण रखें व अपने आपको शान्त रखें |
- अन्तिम दिन कन्या पूजन करना चाहिए |
- सम्पूर्ण नवरात्र काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें |
- नवमी के दिन जिस भी मंत्र का जाप कर रहें हो उसका दशांश हवन करें, दशांश हवन न कर सकें तो यथाशक्ति हवन करें |
- नव दुर्गा की कृपा के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें |
गणपति अथर्वशीर्ष से लाभ एवं पाठ विधि
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