सरस्वती पूजा (Saraswati Puja )
सरस्वती पूजा - बसन्त पञ्चमी 2024 : Saraswati Puja
सरस्वती पूजा Saraswati puja के तहत माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पञ्चमी का पर्व मनाया जाता है, इसी दिन माता सरस्वती अवतरित हुई थी इस कारण शास्त्रों में इस दिन को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के लिये निर्धारित किया गया है, कहा जाता है की जब इस संसार की रचना ब्रह्मा जी ने की तब पूरी प्रकृति शब्द हीन थी,
ब्रह्मा जी को लगा की कुछ विशेष कमी रह गयी है इस प्रकृति में तब ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल से थोड़ा जल निकाल कर भूमि पर छिड़का, जिसके प्रभाव से माता सरस्वती प्रकट हुई, माता के अवतरण के पश्चात ही जैसे ही उन्होंने अपनी वीणा को बजाया तब प्रकृति में मधुर स्वर लहरियाँ गूंजने लगी तब सभी को शब्द और वाणी मिली |
ज्ञान प्राप्ति के हेतु माता सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) के लिये बसंत पञ्चमी का पर्व अत्यंत ही शुभ माना गया है, माँ सरस्वती की पूजा बसन्त पञ्चमी के अलावा किसी अन्य शुभ मुहूर्त में भी कर सकते है, इस समय माता की आराधना करने से विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में समुचित उन्नति मिलने लगाती है,
माता सरस्वती ज्ञान के साथ साथ वाणी, कला, संगीत व तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता भी प्रदान करती है, इस दिन पीले रंग का बहुत अधिक महत्व होता है अत: माता को नैवेध, फल पुष्प आदि पीले रंग के अर्पित करने चाहिये |
विद्यार्थियों को अवश्य ही माता सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) करनी चाहिये ताकि उनके विचारों में सात्विकता रहे एवं कुशाग्र बुद्धि को प्राप्त कर सके, शिक्षा के क्षेत्र में मनोवांछित उन्नति के लिये अच्छी याददाश्त व एकाग्रता का होना बहुत ही आवश्यक है आपको अपने याददाश्त व एकाग्रता में वृद्धि के लिये माता सरस्वती की उपासना करनी चाहिये |
सरस्वती पूजा - बसन्त पञ्चमी मुहूर्त 2024 : Saraswati Puja
इस वर्ष पञ्चांग के अनुसार बसन्त पञ्चमी का पर्व पर माँ सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) 14 फरवरी को की जायेगी ,
पञ्चमी प्रारम्भ – 13 फरवरी 2024 दोपहर 2:41 से
पञ्चमी समाप्ति – 14 फरवरी 2024 दोपहर 12:09 तक
बसन्त पञ्चमी पूजा मुहूर्त – 14 फरवरी 2024 प्रात: 6:34 से दोपहर 12:09 तक
सामान्य सरस्वती पूजा विधि : Saraswati Puja
सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) में जिस स्थान पर आपको पूजा करनी हो उस स्थान को स्वच्छ कर के गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें, इसके बाद किसी नये पीले वस्त्र पर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें प्रतिमा न उपलब्ध होने की अवस्था में आप माता की भी फोटो स्थापित कर सकते है,
फिर प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान करायें और यदि चित्र रखा हो तो उसे स्वच्छ कपड़े से पोंछ दे, अब शान्त मन से माता का पूजन करना प्रारम्भ करें,
- सर्वप्रथम शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें
- दीपक जलाकर अब माता को माला या पुष्प चढायें
- माता को सुगन्धित धूप दिखायें
- इसके बाद जो प्रतिमा या फोटो स्थापित किया है उस पर पिसी हल्दी में गंगाजल या शुद्ध जल मिलाकर उसका तिलक करें
- अब माता के समक्ष केसर मिश्रित खीर नैवेध के रूप में चढ़ायें खीर न मिल पाने की अवस्था में पीले रंग के मिष्टान भी आप अर्पित कर सकते है साथ ही साथ माता को कोई फल अर्पित करें
इस पूजन के पश्चात् माता के निम्न मन्त्र का यथा शक्ति जाप करें जिसमें कम से कम 1 माला अर्थात 108 बार मंत्र का जाप अवश्य करें,
“ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं ॐ सरस्वतयै नम:”
इस मंत्र का आप 5,11 या 21 माला का भी जाप कर सकते हैं यदि सामर्थ्य हो तो इससे अधिक जाप कर सकते हैं, यदि किसी विद्यार्थी का पढ़ने में मन न लग रहा हो तो इस मंत्र के जाप के प्रभाव से उनका रुझान स्वतः ही अध्ययन की ओर होने लगता है |
- जाप के पश्चात हाथ में पुष्प लेकर ज्ञान प्राप्ति का निवेदन करते हुये माता के समक्ष पुष्प अर्पित करें
इस बसंत पञ्चमीं पर सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के पर्व के पश्चात विद्यार्थियों को उपरोक्त मन्त्र का प्रतिदिन यथा शक्ति जाप करना लाभप्रद होगा, कुछ माह के जाप के पश्चात आप निश्चित ही अपने अन्दर बौद्धिकता व ज्ञान में वृद्धि को महसूस कर सकेंगे,
निश्चय ही इस मन्त्र के प्रभाव से कोई भी मन्दबुद्धि का व्यक्ति बुद्धिमान हो जायेगा, यह मन्त्र अत्यंत ही प्रभावकारी एवं सात्विक है साथ ही साथ यह मन्त्र व्यक्ति के बौद्धिक स्तर को भी बढ़ाता है |
आज कल शिक्षा प्राप्ति के लिये कुछ विद्यार्थीगण छात्रावास यानी हास्टल में रहते है जहाँ पर यदि आपको जाप करने में असुविधा होती है तो आपके लिये उपरोक्त मंत्र का 108 बार मंत्र जाप का वीडियो ऊपर दिया गया है, इस मंत्र को सुनने से भी आप इसका असीमित लाभ ले सकेंगे,
इसमें आपको शांत अवस्था में बैठकर उपरोक्त मन्त्र को ध्यान पूर्वक सुनने से इस मंत्र का प्रभाव आपको मिल सकेगा, इस मंत्र का कुछ समय तक श्रवण मनन करने से आप अपने अन्दर होने वाले सकारात्मक परिवर्तनों को महसूस कर सकेंगे |
माता सरस्वती हम सभी को ज्ञान व सदबुद्धि प्रदान करें |
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