बगलासूक्त (bagalasukta) :
हम सभी माता श्री बगलामुखी के बारे में जानते हैं की माता अपने उपासकों को शत्रुओं से सुरक्षित रखतीं है, शुद्ध मन से उपासना करने पर चाहे कैसा भी शत्रु हो गुप्त या प्रकट में हो, आन्तरिक हो या वाह्य हो सभी से साधक सुरक्षित रहता है, माता की कृपा सर्वत्र प्राप्त होती है |
मां बगलामुखी की पूजा विशिष्ट तरीके से होती है इनकी आराधना से दुष्ट शक्तियों और आकस्मिक विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है , माँ बगलामुखी की कृपा से व्यापार वृद्धि, प्रतियोगिताओं में सफलता, न्यायिक विवादों मे विजय, विरोधाभासी तत्वों का निर्मूलन और आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है।
हमारे जीवन में कुछ ऐसे दुश्मन होते हैं जो सामने से प्रहार ना करके तंत्र प्रयोग से हानि करने का प्रयास करते हैं इसमें तांत्रिक मंत्रों का उपयोग करके किसी व्यक्ति या स्थान पर नकारात्मक प्रभाव डाला जाता है जो कि हानिकारक होता है इन सब से बचने के लिए हमें मां बगलामुखी की शरण में आना चाहिए ऐसा कोई तंत्र प्रयोग नहीं जो मां की कृपा से समाप्त करना हो सके बस केवल आवश्यकता है तो केवल मां की आराधना करना..
आपके ऊपर किसी ने चाहे कैसा भी तंत्र प्रयोग किया या चाहे जिस भी विधि से तंत्र प्रयोग किया हो माता श्री बगला मुखी के अथर्ववेदीय बगलासूक्त का पाठ करने से सभी प्रकार तंत्र, जादू, टोना- टोटका सभी जड़ मूल से नष्ट हो जाते है |
बगलासूक्त (bagalasukta) की पाठ विधि :
किसी भी मंगलवार से सर्वप्रथम स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें उसके बाद अपने सामने बाजोट (लकड़ी का पाटा) पर पीले वस्त्र को बिछायेँ उस पर माता जी की फोटो को स्थापित करें और यदि बगलामुखी यंत्र उपलब्ध हो तो उसे भी रखें, इसके बाद फोटो और यंत्र को गंगा जल से पवित्र कर लें तत्पश्चात घी का दीपक जलाकर पंचोपचार ( गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से) पूजन करें, पाठ करने से पूर्व तंत्र के उन्मूलन हेतु एक हजार पाठ का संकल्प लेकर पाठ प्रारम्भ करें, आप एक हजार पाठ 5,11, या 21 दिन में कर सकते हैं |
इसके पाठ से तंत्र तो समाप्त होगा ही साथ ही साथ माता की कृपा भी प्राप्त होगी, माता के पूजन में पीले रंग का सर्वाधिक महत्व होता है, माँ के पूजन में तिलक हल्दी से करें, पीले पुष्प समर्पित करें और बेसन के लड्डुओं का नैवेद्य अर्पित करें, यह बाते विशेष रूप से ध्यान रखने वाली हैं |
अथर्ववेदीय बगलासूक्त (bagalasukta):
यां ते चक्रुरामे पात्रे यां चक्रुर्मिश्रघान्ये।
आमे मांसे कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 1 ।।
यां ते चक्रुः कृकवाका वजे वा यां कुरीरिणि।
अव्यां ते कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 2 ।।
यां ते चक्रुरेकशफे पशूनामुभयादति।
गर्दभे कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 3 ।।
यां ते चक्रुरमूलायां वलगं वा नराच्याम्।
क्षेत्रे ते कृत्या यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 4 ।।
यां ते चक्रुर्गार्हपत्ये पूर्वाग्नावुत दुश्चितः।
शालायां कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 5 ।।
यां ते चक्रुः सभायां यां चक्रुरघिदेवने।
अक्षेषु कृत्यां यां चक्रु पुनः प्रति हरामिताम् ।। 6 ।।
यां ते चक्रुः सेनायां यां चक्रु रिष्वायुघे।
दुन्दुभौ कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 7 ।।
यां ते कृत्यां कूपेऽवदघुः श्मशाने वा निचख्नु: ।
सद्यनि कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 8 ।।
यां ते चक्रुः पुरूषस्यास्थे अग्नौ संकसुके च याम्।
म्रोकं निर्दांह क्रव्यादं पुनः प्रतिहरामि ताम् ।। 9 ।।
अपथैनाजभारैणां तां पथेतः प्रहिण्मसि।
अघीरो मर्या घीरेभ्यः संजभाराचित्या ।। 10 ।।
यश्चकार न शशाक कर्तु शश्रे पादमग्ङुरिम्।
चकार भद्रमस्मभ्यमभगो भगवद्भ्यः ।। 11 ।।
कृत्यांकृतं वलगिनं मूलिनं शपथेऽप्यम्।
इन्द्रस्तं हन्तुमहता बघेनाग्विर्विघ्यत्वस्तया ।। 12 ।।
इस स्तोत्र के पाठ से माता बगलामुखी की कृपा तो मिलती ही है साथ ही साथ हर एक प्रकार के तंत्र प्रहारों से सुरक्षा भी मिलती है , आपको एक बात का ध्यान रखना होगा इस स्तोत्र के पाठ के समय जो भी अनुभव हो उसे किसी को भी ना बतायें केवल अपने तक ही सीमित रखें | जय माई की |
।। ॐ ।।