छह मुखी रुद्राक्ष की महिमा व धारण विधि :

छह मुखी रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से इसकी सतह पर छह धारियां पायी जाती है, इस रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का प्रतीक माना गया है| यह रुद्राक्ष भी बहुत ही आसानी से प्राप्त हो जाता है | यह रुद्राक्ष नेपाल व इंडोनेशिया दोनों ही जगह पाया जाता है |

इस रुद्राक्ष को धारण करने से विविध पापों से निवृति मिलती है , यह रुद्राक्ष धारणकर्ता को जीवन की सभी सुख सुविधाओं को प्रदान करता है | छह मुखी रुद्राक्ष के धारणकर्ता को स्वतः ही माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है | छात्रों को एक दाना छह मुखी रुद्राक्ष का लेकर उसे चार मुखी रूद्राक्ष के दो दानों के मध्य में रखकर धारण करना चाहिए ताकि उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में मनोकूल सफलता प्राप्त हो सके | इसे दाहिने हाथ की कलाई में भी धारण किया जाता है |

छह मुखी रुद्राक्ष शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है | जब शुक्र कुण्डली में नीच राशि का हो, शत्रु राशि का हो, अष्टम भाव में हो,शुक्र पीड़ित हो तब छह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए | इसको धारण करने से शुक्र ग्रह से प्राप्त अशुभता परिवर्तित हो कर शुभकारी हो जाता है |

छह मुखी रुद्राक्ष धारण की सामान्य विधि :

किसी भी सोमवार, प्रदोष, पूर्णिमा अथवा शुक्रवार को किसी शिव मंदिर में अथवा घर में स्थापित मंदिर के सामने छह मुखी रुद्राक्ष को पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गौमूत्र व गोबर का मिश्रण) से पवित्र करें फिर रुद्राक्ष को गंगाजल से पवित्र करें, यदि पंचगव्य न मिले तो सिर्फ गंगा जल से पवित्र करें|

अपने सामने रुद्राक्ष को बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर किसी ताम्र अथवा रजत पात्र में स्थापित कर निम्नोक्त प्रत्येक  मंत्रो का उच्चारण करते हुए श्वेत चन्दन या भभूत लगायें–

  • ॐ वामदेवाय नमः ||
  • ॐ ज्येष्ठाय नमः ||
  • ॐ श्रेष्ठाय नमः ||
  • ॐ रुद्राय नमः ||
  • ॐ कालाय नमः ||
  • ॐ कलविकरणाय नमः ||
  • ॐ बलविकरणाय नमः ||
  • ॐ बलाय नमः ||
  • ॐ बलप्रमथनाय नमः ||
  • ॐ सर्वभूतदमनाय नमः ||
  • ॐ मनोन्मनाय नमः || 

 इसके पश्चात निम्नोक्त में से किसी भी एक मंत्र का यथाशक्ति (कम से कम 108 बार ) जाप करें –

  • ॐ नमः शिवाय ||
  • ॐ ह्रीं हुं नमः ||
  • ॐ त्र्यम्बकं  यजामहे  सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||

जाप के पश्चात रुद्राक्ष को निम्न मन्त्र को पढ़ कर धूप दिखाये –

  • ॐ अघोरेभ्योऽथ  घोरेभ्यो  घोर  घोर  तरेभ्यः | सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्र रुपेभ्यः ||

फिर निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष धारण करें –

  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ||