आठ मुखी रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से इसकी सतह पर आठ धारियां पायी जाती है, इस रुद्राक्ष को ब्रहमाण्ड के अग्रपूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणपति का प्रतीक माना गया है| इंडोनेशिया का दाना छोटा होने के कारण इसकी सभी रेखायें नहीं दिखती है जिस कारण ये अस्पष्ट होता है लेकिन नेपाल का दाना बड़ा और पूर्णतया स्पष्ट होता है|
इस रुद्राक्ष को धारण करने से विभिन्न पापों से निवृति मिलती है | जीवन में निर्विघ्नता एवं प्रसिद्धी प्राप्ति के लिये आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए | सातमुखी व आठमुखी को सयुंक्त रूप से धारण करने से जीवन में माता महालक्ष्मी और भगवान गणपति की कृपा सम्मिलित रूप से मिलती है, जिसे भी आर्थिक उन्नति करना हो उसे इन दोनो रुद्राक्ष को अवश्य ही धारण करना चाहिए ताकि दैवीय कृपा की प्राप्ति हो |आठ मुखी रुद्राक्ष के धारणकर्ता को भगवान भैरव का भी आशीर्वाद मिलता रहता है| इस रुद्राक्ष को धारण करने से लेखन कला में निपुणता प्राप्त होती है|
आठ मुखी रुद्राक्ष राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है | जब राहु कुण्डली में नीच राशि का हो, शत्रु राशि का हो, राहु पीड़ित हो,राहु की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो तब आठ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए | इसको धारण करने से राहु ग्रह से प्राप्त अशुभता परिवर्तित हो कर शुभकारी हो जाता है |
आठ मुखी रुद्राक्ष धारण की सामान्य विधि :
किसी भी सोमवार, प्रदोष, पूर्णिमा अथवा शनिवार को किसी शिव मंदिर में अथवा घर में स्थापित मंदिर के सामने आठ मुखी रुद्राक्ष को पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गौमूत्र व गोबर का मिश्रण) से पवित्र करें फिर रुद्राक्ष को गंगाजल से पवित्र करें, यदि पंचगव्य न मिले तो सिर्फ गंगा जल से पवित्र करे|
अपने सामने रुद्राक्ष को बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर किसी ताम्र अथवा रजत पात्र में स्थापित कर निम्नोक्त प्रत्येक मंत्रो का उच्चारण करते हुए श्वेत चन्दन या भभूत लगायें–
- ॐ वामदेवाय नमः ||
- ॐ ज्येष्ठाय नमः ||
- ॐ श्रेष्ठाय नमः ||
- ॐ रुद्राय नमः ||
- ॐ कालाय नमः ||
- ॐ कलविकरणाय नमः ||
- ॐ बलविकरणाय नमः ||
- ॐ बलाय नमः ||
- ॐ बलप्रमथनाय नमः ||
- ॐ सर्वभूतदमनाय नमः ||
- ॐ मनोन्मनाय नमः ||
इसके पश्चात निम्नोक्त में से किसी भी एक मंत्र का यथाशक्ति ( कम से कम 108 बार ) जाप करें –
- ॐ नमः शिवाय ||
- ॐ हुं नमः ||
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
जाप के पश्चात रुद्राक्ष को निम्न मन्त्र को पढ़ कर धूप दिखाये –
- ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्यः | सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्र रुपेभ्यः ||
फिर निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष धारण करें –
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ||