तीन मुखी रुद्राक्ष की महिमा व धारण विधि :

तीन मुखी रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से इसकी सतह पर तीन धारियां पायी जाती है, इस रुद्राक्ष को अग्नि का प्रतीक माना गया है, अग्निदेव सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को जला कर शुद्ध कर देते हैं|

इस रुद्राक्ष को त्रिशक्ति का प्रतीक भी माना गया है| तीन मुखी रुद्राक्ष इंडोनेशिया व नेपाल में पाया जाता है|तीन  मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गर्भपात के पाप से निवृति मिलती है| यदि कोई छोटा बच्चा अक्सर  बीमार रहता हो तो उसे 1 दाना और यदि बच्चे की उम्र 6 वर्ष से अधिक हो तो 3 दाने इस रुद्राक्ष के लाल धागे में धारण करा दें इससे उसके स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर सुधार होने लगेगा| जिस किसी भी व्यक्ति का यदि अक्सर दुर्घटना होती हो उसे भी इसके धारण करने से लाभ मिलता है|

तीन  मुखी रुद्राक्ष मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है | जब मंगल कुण्डली में नीच राशि का हो, शत्रु राशि का हो, त्रिक भावों(6,8,12)में हो,मंगल पीड़ित हो तब तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए | यदि किसी के कुण्डली में मंगली दोष होने के कारण विवाह न हो पा रहा हो तो इसके परिहार के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करा देना चाहिए| 

तीन मुखी रुद्राक्ष धारण की सामान्य विधि :

किसी भी सोमवार, प्रदोष, पूर्णिमा, मंगलवार को किसी शिव मंदिर में अथवा घर में स्थापित मंदिर के सामने तीन मुखी रुद्राक्ष को पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गौमूत्र व गोबर का मिश्रण) से पवित्र करें फिर रुद्राक्ष को गंगाजल से पवित्र करें, यदि पंचगव्य न मिले तो सिर्फ गंगा जल से पवित्र करें|

अपने सामने रुद्राक्ष को बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर किसी ताम्र अथवा रजत पात्र में स्थापित कर निम्नोक्त प्रत्येक  मंत्रो का उच्चारण करते हुए श्वेत चन्दन या भभूत लगायें–

  • ॐ वामदेवाय नमः ||
  • ॐ ज्येष्ठाय नमः ||
  • ॐ श्रेष्ठाय नमः ||
  • ॐ रुद्राय नमः ||
  • ॐ कालाय नमः ||
  • ॐ कलविकरणाय नमः ||
  • ॐ बलविकरणाय नमः ||
  • ॐ बलाय नमः ||
  • ॐ बलप्रमथनाय नमः ||
  • ॐ सर्वभूतदमनाय नमः ||
  • ॐ मनोन्मनाय नमः || 

 इसके पश्चात निम्नोक्त में से किसी भी एक मंत्र का यथाशक्ति ( कम से कम 108 बार ) जाप करें –

  • ॐ नमः शिवाय ||
  • ॐ क्लीं नमः ||
  • ॐ त्र्यम्बकं  यजामहे  सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||

जाप के पश्चात रुद्राक्ष को निम्न मन्त्र को पढ़ कर धूप दिखाये –

  • ॐ अघोरेभ्योऽथ  घोरेभ्यो  घोर  घोर  तरेभ्यः | सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्र रुपेभ्यः ||

फिर निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष धारण करें –

  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ||