चार मुखी रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से इसकी सतह पर चार धारियां पायी जाती है, इस रुद्राक्ष को श्रृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा का प्रतीक माना गया है, इसकी चारों धारियों की समानता ब्रह्मा जी के चारो मुखों से की गयी है| इसका नेपाली दाना बहुत ही आसानी से मिल जाता है, इंडोनेशिया का दाना छोटा होने के कारण माला बनाने में ही सर्वाधिक प्रयुक्त होता है |
चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से नरहत्या के पाप से निवृति मिलती है| चार मुखी रुद्राक्ष मुख्यतः मानसिक रूप से सबल होने के लिए लाभदायक है,मानसिक कार्यों को करने वाले व्यक्तियों को अवश्य ही चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए | मानसिक रोगों में भी यह बहुत लाभदायक होता है | छात्रों के लिये तो ये एक प्रकार से प्रत्यक्ष वरदान के समान है यदि कोई छात्र शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति न कर पा रहा हो तो दो दानें चार मुखी रुद्राक्ष के मध्य में एक दाना छह मुखी रुद्राक्ष लगाकर धारण कराना चाहिए |इसको धारण करने वाले को माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
चार मुखी रुद्राक्ष बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है | जब बुध कुण्डली में नीच राशि का हो, शत्रु राशि का हो, त्रिक भावों(6,8,12)में हो,बुध पीड़ित हो तब चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए | इसको धारण करने से बुध ग्रह से प्राप्त अशुभता परिवर्तित हो कर शुभकारी हो जाता है|
चार मुखी रुद्राक्ष धारण की सामान्य विधि :
किसी भी सोमवार, प्रदोष, पूर्णिमा अथवा बुधवार को किसी शिव मंदिर में अथवा घर में स्थापित मंदिर के सामने चार मुखी रुद्राक्ष को पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गौमूत्र व गोबर का मिश्रण) से पवित्र करें फिर रुद्राक्ष को गंगाजल से पवित्र करें, यदि पंचगव्य न मिले तो सिर्फ गंगा जल से पवित्र करें|
अपने सामने रुद्राक्ष को बजोट ( लकड़ी की छोटी चौकी ) पर किसी ताम्र अथवा रजत पात्र में स्थापित कर निम्नोक्त प्रत्येक मंत्रो का उच्चारण करते हुए श्वेत चन्दन या भभूत लगायें–
- ॐ वामदेवाय नमः ||
- ॐ ज्येष्ठाय नमः ||
- ॐ श्रेष्ठाय नमः ||
- ॐ रुद्राय नमः ||
- ॐ कालाय नमः ||
- ॐ कलविकरणाय नमः ||
- ॐ बलविकरणाय नमः ||
- ॐ बलाय नमः ||
- ॐ बलप्रमथनाय नमः ||
- ॐ सर्वभूतदमनाय नमः ||
- ॐ मनोन्मनाय नमः ||
इसके पश्चात निम्नोक्त में से किसी भी एक मंत्र का यथाशक्ति ( कम से कम 108 बार ) जाप करें –
- ॐ नमः शिवाय ||
- ॐ ह्रीं नमः ||
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
जाप के पश्चात रुद्राक्ष को निम्न मन्त्र को पढ़ कर धूप दिखाये –
- ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्यः | सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्र रुपेभ्यः ||
फिर निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष धारण करें –
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ||